About Shodashi
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Celebrations like Lalita Jayanti underscore her importance, in which rituals and offerings are created in her honor. These observances undoubtedly are a testomony to her enduring allure and the profound effects she has on her devotees' lives.
इस सृष्टि का आधारभूत क्या है और किसमें इसका लय होता है? किस उपाय से यह सामान्य मानव इस संसार रूपी सागर में अपनी इच्छाओं को कामनाओं को पूर्ण कर सकता है?
सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां
अष्टमूर्तिमयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥८॥
सा मे दारिद्र्यदोषं दमयतु करुणादृष्टिपातैरजस्रम् ॥६॥
An early morning bathtub is considered important, accompanied by adorning clean clothing. The puja location is sanctified and decorated with bouquets and rangoli, creating a sacred Place for worship.
Thus each of the gods asked for Kamadeva, the god of love to make Shiva and Parvati get married to each other.
देवस्नपन दक्षिण वेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः
लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते
Around the fifth auspicious day of Navaratri, the Lalita Panchami is celebrated as being the legends say this was the working day if the Goddess emerged from hearth to eliminate the demon Bhandasura.
सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्
श्रीमद्-सद्-गुरु-पूज्य-पाद-करुणा-संवेद्य-तत्त्वात्मकं
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति Shodashi के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।